यह सीढ़ीनुमा कुँआ शहर के उत्तर – पश्चिम में स्थित है और चंदेरी में सभी बावड़ियों में सबसे बड़ा है। यह वर्गाकार है, हरेक दिशा में इसकी लंबाई 60 फुट है और यह चार मंजिला नीचे तक है। हरेक मंजिल से नीचे वाली मंजिल तक उतरने के लिये सीढ़ियाँ हैं और हरेक मंजिले पर आठ घाट हैं। कुल घाटों की संख्या 32 होती है जिससे इस बावड़ी को अपना नाम मिला है। मुख्य सीढ़ियों दक्षिणी छोर पर हैं जो दो दरवाजों से होकर गुजरती हैं। सीढ़ियों के बगल में दो अरबी और फारसी में लिखे शिलालेख हैं जो नासक लिपि में लिखे गये हैं।
बत्तीसी बावड़ी |
शिलालेख हमें यह सूचित करते है कि बावड़ी पर काम सुल्तान घयासुद्दीन खिलजी के शासनकाल के दौरान एक ताघी, जो तत्कालीन कलेक्टर शरीक – उल – मुल्क का बेटा था के द्वारा शुरू किया गया था और इस संरचना को वर्ष 1484 ई. में पूरा किया गया था।
बत्तीसी बावड़ी |
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